जैन धर्म का इतिहास, तनयर्, उपदेश और तसद् जैन धर्म– 24 र्थंकर जैन धर्म और बौद्ध धर्म र् बड़ी #सर्नता है. किन्तु #अब यह #साकबत हो चु है कि बौद्ध धर्म तुलना र् जैन धर्म #अकधि प्राचीन है. जैनो र्नना है कि हर्रे 24 तीर्थंर हो चु हैं कजनि द्वारा जैन धर्म उत्पकि और किस हुआ. क्या आप पता है कि जैन धर्म 23 तीर्थंर नार् क्या है? यकि आप परीक्षा तैयारी अच्छे से #रहे हो तो आपि इसि जिब र्लूर् होगा. उनि नार् है – पार्श्मनार्थ. उनि जन्म ईसा पूम 8 #शताब्दी र् हुआ. पार्श्मनार्थ ए क्षकिय र्थे. उनि र्ख्य कसद्धात र्थे – #सि सच बोलना, अकहोंसा, चोरी न रना #और धन त्याग र ना. 24 र्थंकर के नार् और उनके तिन्ह 1. श्री ऋषभनार्थ- बैल 2. श्री #अकजतनार्थ- हार्थी 3. श्री सोंभिनार्थ- अर्श् (घोड़ा) 4. श्री #अकभनोंननार्थ- बों 5. श्री सुर्कतनार्थ- चि 6. श्री पद्मप्रभ- र्ल 7. श्री #सुपार्श्मनार्थ- साकर्थया (स्वस्ति) 8. श्री चन्द्रप्रभ- चन्द्रर् 9. श्री पुष्पित- र्गर 10. श्री #शीतलनार्थ- ल्पिृक्ष 11. श्री श्रेयासनार्थ- गैंडा 12. श्री सुपूज्य- भैंसा 13. श्री किर्लनार्थ- शूर 14. श्री #अनोंतनार्थ- से ही 15. श्री धर्मनार्थ- ज्रड, 16. श्री #शाकतनार्थ- र्ग (कहरण) 17. श्री र्थुनार्थ- बिरा 18. श्री अरहनार्थ- र्छली 19. श्री र्स्तिनार्थ- िलश 20. श्री र्ुकनस्रुव्रतनार्थ- िच्छप (िछु आ) 21. श्री नकर्नार्थ- नीलिर्ल 22. श्री नेकर्नार्थ- शोंख 23. श्री पार्श्मनार्थ- सपम 24. श्री र्हािीर- कसोंह र्हावीर स्वार्ी परन्तु जैन धर्म िे र्ूलप्रििमि िे किषय र्ें यकि बात िी जाए तो र्हािीर स्वार्ी िा नार् सार्ने आता है. इनिा जन्म 540 ई.पू. िे #आस-पास हुआ र्था. इनि बचपन नार् धमर्न र्था. ह कलच्छिी िोंश िे र्थे. िैशाली (जो #आज कबहार िे हाजीपुर कजले र्ें है) र्ें उनिा साम्राज्य र्था. गौतर् बुद्ध िी ही तरह राजिु र्ार िधमर्ान ने राजपाट छोड़ किया #और 30 िषम िी #अिस्र्था र्ें िहीों िू र जा िर 12 िषम िी िठोर तपस्या िी. इस पूरी अिकध िे िौरान िे #अकहोंसा िे पर्थ से भटिे नहीों और खान-पान र्ें भी बहुत #सोंयर् से िार् कलया. #सच िहा जाए तो राजिु र्ार िधमर्ान ने #अपनी इस्तन्द्रयो सम्पूणम रूप से श र् र कलया र्था. 12 िषम िी िठोर तपस्या िे बाि, 13िें िषम र्ें उनिो र्हािीर #और कजन (किजयी) नार् से जाना जाने लगा. उन्हें परर् ज्ञान िी प्रास्ति हो चुिी र्थी. र्हािीर स्वार्ी जैन परम्परा िे 24िें तीर्थंिर िहलाए. उनिे उपिेशोों र्ेंिोई नई बात नहीों किखती. पार्श्मनार्थ िी चार प्रकतज्ञाओों र्ें उन्होोंने एि पााँचिी प्रकतज्ञा और शाकर्ल िर िी और िह र्थी – पकििता #से जीन कबताना. उनि कशष्य नग्न घूर्ते र्थे इसकलए कनर्ग्मन्थ िहलाये. बुद्ध िी भााँकत ही र्हािीर #स्वार्ी ने #शरीर और र्न पकिता, #अकहोंसा और र्क्ष जीन अकतर् उद्देश्य र्ाना. पर उनिा र्ोक्ष बुद्ध िे कनिामण #से कभन्न है. आत्मा िा परर्ात्मा #से कर्ल जाना ही जैन धर्म र्ें र्ोक्ष र्ाना जाता है. जबकि बौद्ध धर्म र्ें पुनजमन्म #से र्ुस्ति ही कनिामण है. लगभग 30 िषों ति र्हािीर #स्वार्ी ने इन्हीों कसद्धाोंतोों िा प्रचार किया और 72 िषम िी आयु र्ें उन्होोंने राजगीर िे कनिट पािापुरी नार्ि #स्र्थान र्ें #अपना शरीर त्याग किया. र्हावीर के उपदेश र्हार हते र्थे कि जो भी जैन कनिामण िो प्राि िरना चाहता है उसिो स्वयों िे #आचरण, ज्ञान और किर्श्स #शुद्ध रना चाकहए और पाच प्रकतज्ञाओ पालन #अश्य रना चाकहये. जैन धर्म र् तप बहुत र्कहर् है. उपिस भी ए तप रूप #र् खा गया है. ई भी र्नुष्य कबना ध्यान, अनशन और तप किये अन्दर से शुद्ध नही हो #सिता. यकि ह स्वयों आत्मा र्स्ति चाहता है तो उसे ध्यान, #अनशन और तप रना ही होगा. र्हार ने पूणम #अकहोंसा पर जोर किया और तब से ही “अकहोंसा परर् धर्मः” जैन धर्म #र् ए प्रधान कसद्धात र्ना जाने लगा. तदगांबर और श्वेम्बर 300 ई.पू. लगभग जैन धर्म #सम्प्रियो र् किभि हो गया – किगोंबर #और र्श्ताम्बर. किगम्बर नग्न र्कतम उपासना रते हैं #और र्श्ताम्बर #अपनी र्कतमयो #र्श्त स्त्र पहनाते हैं. 2011 census अनुसार भारत र् जैन धर्म अनुयायी 44 लाख 51 हजार हैं. इन्हें धनी #और #सर्द्ध गम र् कगना जाता है. जैन धर्म लोग #अकधिाश व्यापारी गम हैं. जैन धर्म प्रचार #सब लोगो बीच नही हुआ क्योकि इसि कनयर् कठन र्थे. राजाओ ने जैन धर्म #अपनाया #और उनि प्रचार भी किया. अकधिश श्य गों ने जैन धर्म अपनाया. जैन धर्म #अनुयाकययो र् बड़े-बड़े किद्वान् र्हात्मा भी शाकर्ल हुए हैं. #और #अशोक #समुद्रगुप्त #अपने #से #समय #अनुसार #आर्यों #राजा