सिद्धासन विधि https://youtu.be/w9UhmQwNah4 नाड़ी शोधन प्राणायाम https://youtu.be/3un4U8_UruI मेरुदंड Spine के लिए विशेष योग अभ्यास https://youtu.be/GiBV4ax0COs ध्यान योग के विषय में अधिक जानने के लिए Yogi Varunanand / App पर Dhyan Yog से जुड़ें https://play.google.com/store/apps/details?id=co.davos.wiwig महादेव के स्वरूप में ही योग तत्व व्याप्त है महादेव योग के आधार में है और अस्तित्व के मूल में भी महादेव के उपासक के जीवन से सभी क्लेश , भय , संताप समाप्त हो जाते हैं और वह निरंतर आनंद से युक्त रहता है महादेव कृपासिंधु हैं और परम भयंकर भी - वह स्थिति के आधार पर कभी संघार तो कभी अनुग्रह का कार्य करते हैं ऐसे महादेव को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को उनकी कृपा का पात्र बनना होगा अपने अंदर के कपट , क्लेशों पर विजय प्राप्त करनी होगी , उसके बाद महादेव अपने भक्तों पर अवश्य कृपा करते हैं आदि योगी के विषय में और अधिक समझने के लिए समझे की उनके पांच कार्य हैं सृष्टि रचना , स्थिति , संहार , तिरोधन और अनुग्रह इनमें से संहार और अनुग्रह के विषय में समझें... पाप के बहुत अधिक बढ़ जाने पर #संहार रूपी कार्य को पूर्ण करने के लिए ईश्वर किसी ना किसी रूप में अवतरित होकर अधर्म और अधर्मियों का अंत करते हैं जिस स्वरुप में ईश्वर अवतरित होते हैं उस स्वरूप को हम शब्दों में कह सकते हैं उनको मन में धारण करके पूजा , उपासना , अर्चना आदि कर सकते हैं किंतु ईश्वर के निराकार स्वरूप को अनुभव में लाना सरल नहीं - जिन योगियों ने उस ब्रह्म को अनुभव भी कर लिया - लेकिन अनुभव करने के बाद भी ब्रह्म का वर्णन करना असंभव जानकर उन्होंने ब्रह्म के विषय में "नेति नेति" कहकर संकेत किया कि उनका वर्णन करना किसी के लिए भी संभव नहीं... लेकिन क्योंकि जीवात्मा ईश्वर का ही अंश है तो जीवन में अनेक बार चेतना की शुद्धतम अवस्था में व्यक्ति ईश्वर के अनेक गुणों में से किसी एक गुणों को स्वयं के अंदर उपजता अनुभव कर सकता है.. जिस प्रकार जब व्यक्ति हर प्रकार से निराश हो जाता है उस स्थिति में भी ईश्वर के #अनुग्रह से वह एक नई ऊर्जा संतोष और आनंद को अनुभव कर सकता है यह जो आनंद जीवात्मा अनुभव करती है यह सांसारिक पदार्थों से नहीं आता यह आता है ईश्वर के आनंद स्वरूप होने के कारण और जीवात्मा - ईश्वर का एक अंश होने के कारण / अतः जब एक साधक इस आनंद में नित्य स्थित हो जाता है जब उसका यह आनंद एक क्षण के लिए भी भंग नहीं होता बस वही सिद्ध हो जाने की अवस्था है वही जीवन की सार्थकता भी है और वही सभी दुखो से आत्यंतिक निवृत्ति है अतः आप इसी प्रकार समझें... #mahashivratri #mahadev #shiv #shiva #shivajimaharaj #shivshankar #shivsadhana #sadhana #yogivarunanand

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