बहुत ही सुन्दर गीत। हमरा उत्तराखंड की लोक विरासत। स्वर - वीरू रावत तबला - मनीष रावत धुन - पौराणिक लिरिक्स- चल मेरी बाँमणी, बिन्सर जयोलै द्वी । औलादी कै बाना, मंगरो नयोंलै द्वी। । कातिक का मैना, बैकुण्ठ चतुरदश आली । बिन्सर देवा का मेला, भेंट चढौलै द्वी ।। हो भै चल मेरी बाँमणी , दुधा तोली डाँडा, घँणा देबदारौ का बीच । बाबा बस्यू होलू , दर्शन कैर्योले द्वी। । पाँच पण्डौ की पूजा, तब ब्रह्मा ढुंगीं जौंला । दर्शन कैरी बाबा का, चौथान देख्योलै द्वी ।। हा भै चल मेरी .......

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